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ख़ुद करे तो खेती

खुद करै तो खेती,
नईं तौ बंजर हैती।

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भावार्थ -

इसका अर्थ यह है कि हमें अपने काम स्वयं करने चाहिए। किसी के भरोसे पर काम छोड़ने से उसमें हानि ही होती है। इसी कारण से इस कहावत में खेती का उदाहरण दिया गया है।

Comments

सचमुच कितनी अच्‍छी अच्‍छी कहावते बनायी थी हमारे पूर्वजों ने ...इसका संग्रह करके आप एक नेक काम कर रहे हैं।
Alpana Verma said…
sach kahtey hain.
kahavaten kitna kuchh sikhati hain.
हमारे पूर्वजों ने हमे इन कहावतो के जरिये बहुत कुछ समझाया, आप की यह कहावत बिलकुल सही है.
धन्यवाद

आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी भीनी भीनी सी बधाई।
बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है
इन दिनों माधवीजी के साथ कुमारेन्‍द्र जी भी सक्रिय हो गए हैं। रोज नई पुरानी कहावतों से रूबरू करा रहे हैं।
इसके लिए आभार।
imnindian said…
PHOTOWALI KAHAWATO KE SATH BLOG CHAMAK JA RAHA HAI.
AAP SABKO HOLI KI SHUBHKAMNAYE....

MADHAVI SHREE
amit said…
Aakhir Kyon ख़ुद करे तो खेती
Pauranik KathayenTHANKS FOR ARTICALS

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