हूं राणी तूं राणी कूण घालै चूले मैं पाणी हूं- मैं राणी- रानी कूण- कौन घालै- डाले चलै- चूल्हा पाणी- पानी एक रानी दूसरी से कहती है मैं भी रानी हूं और तूं भी रानी है तो चूल्हे में भात बनाने के लिए कौन पानी डालेगा। यानि कोई नहीं डालेगा। इस तरह काम होगा ही नहीं। रानियों की बात: इस कहावत से मुझे एक बात याद आ गई। मेरे एक मामाजी हैं एक दिन उन्होंने मुझे मेहतरानी की इंसल्ट करते हुए देख लिया। तो उस समय तो कुछ नहीं बोले लेकिन बाद में मुझे बैठाकर समझाया कि एक राजा (गृहस्वामी) के चार रानियां होती है। महारानी, पटरानी, नौकरानी और मेहतरानी। चारों रानियों का अपना महत्व और काम है। कभी इनकी इंसल्ट नहीं करनी चाहिए। अब एक ऐसी कॉलोनी में रहता हूं जहां नगर परिषद के कर्मचारी सफाई नहीं करते। ऐसे में मेहतरानी की भूमिका अधिक प्रबल हो जाती है। इस कहावत में मेहतरानी तो नहीं है लेकिन एक ही राजा की दो रानियों के बारे में है सो यह बात याद आ गई सो ठेल दी। उम्मीद है कहावत की तरह लोकभाव की यह बात भी आपको पसंद आएगी।
याद है नानी-दादी की कहावतें