भावार्थ: गाडा – ठेला, छाजले- कचरा उठाने केलिए लोहे की बनी छाज, भार- वजन
इस्तेमाल: बड़े प्रयास में छोटा प्रयास और जुड़ने से काम की गति और सामर्थ्य पर प्रभाव नहीं पड़ता।
कहानी: कचरा एकत्र करने वाला व्यक्ति जब कचरे से भरी गाड़ी को खींच रहा था तो उसकी पत्नी ने पूछा कि क्या वह अपना ‘छाजला’ उसके ठेले में रख दे तो व्यक्ति ने कहा कि ‘रख दे, प्यारी, गाडे में छाजले रो क्या भार?’
इस्तेमाल: बड़े प्रयास में छोटा प्रयास और जुड़ने से काम की गति और सामर्थ्य पर प्रभाव नहीं पड़ता।
कहानी: कचरा एकत्र करने वाला व्यक्ति जब कचरे से भरी गाड़ी को खींच रहा था तो उसकी पत्नी ने पूछा कि क्या वह अपना ‘छाजला’ उसके ठेले में रख दे तो व्यक्ति ने कहा कि ‘रख दे, प्यारी, गाडे में छाजले रो क्या भार?’
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