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Showing posts from July, 2009

जुलाहे से लठ्ठमलट्ठा

सूत न कपास, जुलाहे से लठ्ठमलट्ठा -------------------- इसका भावार्थ है किसी ऐसी चीज के लिए लड़ने लगना जिसका कोई अस्तित्व ही न हो। हमारे बाबा-दादी इसको लेकर एक छोटी सी कहानी सुनाते थे कि एक बार दो पड़ोसियों में आपस में बात हो रही थी। एक खेत खरीदने जा रहा था और दूसरा भैंस खरीदने। पहले पड़ोसी ने कहा कि तुम अपनी भैंस बाँध कर रखना कहीं हमारे खेत में घुस कर फसल न खा जाये। दूसरे पड़ोसी को यह बुरा लगा उसने कहा कि तुम अपने खेत में बाड़ लगाना क्योंकि भैंस तो मूक जानवर है। उसे बार-बार कैसे रोका जा सकेगा? बस इसी बात पर दोनों में कहासुनी बहुत बढ़ गई। देखते-देखते दोनों में लाठी-डंडों से लड़ाई भी शुरू हो गई। सम्भवतः इसी को देखकर यह कहावत बनी होगी।

पंजाब की एक कहावत

जिदी कोठी ते दाने , ओहदे कमले भी सयाने यानि जिनके घर में दाने यानि कि अनाज या कहे समृद्धि भरी होती है उनके आवारा लड़को को भी दुनिया सयाना यानि कि समझदार कहती है। ओहदे - उनके , कमले - आवारा लड़के

एक कहावत

अन्धो मे , काना राजा यानि अगर किसी जगह कम पढ़े लिखे या कम हुनरमंद लोग हो वहा कोई जरा ज्यादा पड़- लिख गया हो या थोड़ा ज्यादा हुनरमंद हो तो वो अपनी ही बघारता रहता है। लोग उसी को चुनते है , पूजते है । जैसे इस इलेक्शन मे यूपीऐ अन्धो मे काना राजा बन गई ।

एक बंगला कहावत

प्रीत कोरले भेबे कोरो, बेसी चुन लागले , मुख टा केते जबे , कोम होले , स्वाद आसबे न । यानि, प्रेम करना हो तो सोच समझ कर करे, ये पान में लगे चुने की तरह होता है। जयादा लग गया तो जीभ जल जाती है। कम लगे तो स्वाद नही आता है। भेबे - सोच कर , कोरो - करना , होले - होने पर , बेसी - जयादा