सूत न कपास, जुलाहे से लठ्ठमलट्ठा -------------------- इसका भावार्थ है किसी ऐसी चीज के लिए लड़ने लगना जिसका कोई अस्तित्व ही न हो। हमारे बाबा-दादी इसको लेकर एक छोटी सी कहानी सुनाते थे कि एक बार दो पड़ोसियों में आपस में बात हो रही थी। एक खेत खरीदने जा रहा था और दूसरा भैंस खरीदने। पहले पड़ोसी ने कहा कि तुम अपनी भैंस बाँध कर रखना कहीं हमारे खेत में घुस कर फसल न खा जाये। दूसरे पड़ोसी को यह बुरा लगा उसने कहा कि तुम अपने खेत में बाड़ लगाना क्योंकि भैंस तो मूक जानवर है। उसे बार-बार कैसे रोका जा सकेगा? बस इसी बात पर दोनों में कहासुनी बहुत बढ़ गई। देखते-देखते दोनों में लाठी-डंडों से लड़ाई भी शुरू हो गई। सम्भवतः इसी को देखकर यह कहावत बनी होगी।
याद है नानी-दादी की कहावतें