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Showing posts from December, 2008

सबसे सगुन इहे अच्छा...

सबसे सगुन इहे अच्छा नया साल आ रहा है और हम अपनी सारी परम्पराओं के साथ समय की यात्रा के अगले चरण में प्रवेश करने जा रहे हैं। ऐसे में भोजपुरी अंचल से एक कहावत जो यात्रा के शगुन की पहचान करती है। सबसे सगुन इहे अच्छा, सनमुख गाय पिआवे बाछा। (सगुन- संकेत, सनमुख- सामने, बाछा-बछिया, गाय की संतान) अर्थात् यात्रा पर निकलते वक्त यदि अपने बच्चे को दूध पिलाती गाय दिख जाए तो यात्रा का उद्देश्य पूर्ण या सफल होता है। नव वर्ष में आपकी भी यात्रा सफल हो। शुभकामनाएं।

अपनी दही खट्टी नहीं

इस बार भोजपुरी अंचल से एक और व्यावहारिक कहावत:- "अपना दही के अहीर खट्टा ना कहे।" अहीर - दूध/दही वाला, यानी, दही चाहे लाख बुरी हो, यह जानते हुए भी दही वाला उसे खट्टा नहीं बताएगा, बल्कि वो उसकी तारीफ ही करेगा। क्या यह कहावत अपने एक पड़ोसी देश पर भी खरी नहीं उतरती!

एक और bihari कहावत

ये कहावत भी माँ से सुना था बचपन में। अब वो तो रही नही इस दुनिया में , तो आप लोगो से उनके मध्यम से bihari कहावते बाच रही हू "माँ करे कुत्व्नी -पिस्वानी , बेटा दूर्गा दास" कहानी ज्तनी मुझे याद है - एक लड़का था ,जीसकी माँ गरीब थी और लोगो के घर जा-जा कर मसाले कुटा -पीसा करती थी.पर वो लड़का हमेशा फुटानी (स्टाइल) में रहा करता था । तो लोगो ने उसका मजाक उड़ने के लीये ये कहावत कहना शुरु कर दीया .

बंगला कहावत

जोले चान ओ कोरबो , किंतु टिकी भिजेबो ना। यानि पानी में नाहुगा पर सर नही गिला करू गा । ये प्राय तब कहा जाता है जब कोई आदमी कुछ लाभ पाना चाहता है पर उसके कारण चर्चा में नही आना चाहता है.जैसे प्रेम तो करेगे पर बदनामी नही लेगे . जोले - पानी ,चान- नहाना , टीकी - चुटिया

कानी बिनल रहलो न जाए

"कानी बिनल रहलो न जाए , कानी बिनल नैनों जुडाये।" बिहार की ये कहावत मैंने मेरी माँ से बचपन में सुनी थी। माँ ने बताया था कि एक आदमी था जिसकी बीवी कानी थी । वो उसे पसंद नही करता था , एक दिन उसने अपनी माँ को कहा की कानी को उसके मायके भेज दो.माँ ने बेटे की बात मान ली और बहु को मायके भेज दिया.कुछ दिन बाद बेटे ने माँ से कहा - माँ मेरा मन नही लग रहा , तुम कानी को वापस बुला लो। तब माँ ने कहा -तुम उसके साथ रह भी नही सकते , उसके बगैर भी नही रह सकते.