इस बार भोजपुरी अंचल से एक और व्यावहारिक कहावत:-
"अपना दही के अहीर खट्टा ना कहे।"
अहीर - दूध/दही वाला,
यानी, दही चाहे लाख बुरी हो, यह जानते हुए भी दही वाला उसे खट्टा नहीं बताएगा, बल्कि वो उसकी तारीफ ही करेगा। क्या यह कहावत अपने एक पड़ोसी देश पर भी खरी नहीं उतरती!
"अपना दही के अहीर खट्टा ना कहे।"
अहीर - दूध/दही वाला,
यानी, दही चाहे लाख बुरी हो, यह जानते हुए भी दही वाला उसे खट्टा नहीं बताएगा, बल्कि वो उसकी तारीफ ही करेगा। क्या यह कहावत अपने एक पड़ोसी देश पर भी खरी नहीं उतरती!
Comments
ऐसी ही एक कहावत हमारे बीकानेर में भी कही जाती है। ये कुछ इस तरह है
आपरो पादो घणो स्वादो
यानि अपना पाद ज्यादा स्वाद लगता है। इसे आमतौर पर इस संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है कि कोई व्यक्ति काम करे या क्रिएशन करे और उसे ही सबसे अच्छा बताए।
यह सुनने में थोड़ा अजीब लगता है लेकिन बहुत इस्तेमाल किया जाता है। यहां मैंने तो पाद का अर्थ बैड स्मैल की तुलना में सृजन के संदर्भ में अधिक इस्तेमाल देखा है।
'' यह इस प्रकार से है .....
" कानी बिना रहओ ना जाए ,कानी देखे मूड़ [ चाहें तो नैन कहें ] पिराये |
Pauranik Kathayenthanks for articals