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सबसे सगुन इहे अच्छा...

सबसे सगुन इहे अच्छा
नया साल आ रहा है और हम अपनी सारी परम्पराओं के साथ समय की यात्रा के अगले चरण में प्रवेश करने जा रहे हैं। ऐसे में भोजपुरी अंचल से एक कहावत जो यात्रा के शगुन की पहचान करती है।
सबसे सगुन इहे अच्छा, सनमुख गाय पिआवे बाछा।
(सगुन- संकेत, सनमुख- सामने, बाछा-बछिया, गाय की संतान)
अर्थात् यात्रा पर निकलते वक्त यदि अपने बच्चे को दूध पिलाती गाय दिख जाए तो यात्रा का उद्देश्य पूर्ण या सफल होता है। नव वर्ष में आपकी भी यात्रा सफल हो। शुभकामनाएं।

Comments

आपके इ प्रयास बहुते नीक बॉय और हम समझत है की ऐसन कोशिस से आपन क्षेत्रीय भाषा का और बड़ा प्लेटफोर्म मिली । आप का हमारे तरफ़ से बधाई हो ।
Anonymous said…
नववर्ष की आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। ये पंक्तियां मेरी नहीं हैं लेकिन मुझे काफी अच्‍छी लगती हैं।

नया वर्ष जीवन, संघर्ष और सृजन के नाम

नया वर्ष नयी यात्रा के लिए उठे पहले कदम के नाम, सृजन की नयी परियोजनाओं के नाम, बीजों और अंकुरों के नाम, कोंपलों और फुनगियों के नाम
उड़ने को आतुर शिशु पंखों के नाम

नया वर्ष तूफानों का आह्वान करते नौजवान दिलों के नाम जो भूले नहीं हैं प्‍यार करना उनके नाम जो भूले नहीं हैं सपने देखना,
संकल्‍पों के नाम जीवन, संघर्ष और सृजन के नाम!!!
नए साल की पहली शुरुआत निश्‍चय ही इस ब्‍लॉग की थीम के अनुरूप हुई है। अभिषेकजी, सुशील जी, कपिल जी और ब्‍लॉग के सभी साथी लेखकों को हृदय से नए साल की शुभकामनाएं।
amit said…
Aakhir Kyonसबसे सगुन इहे अच्छा
Pauranik Kathayenthanks for articals

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चइते चना, बइसाखे बेल, जेठे सयन असाढ़े खेल  सावन हर्रे, भादो तीत, कुवार मास गुड़ खाओ नीत  कातिक मुरई, अगहन तेल, पूस कर दूध से मेल  माघ मास घिव खिंच्चड़ खा, फागुन में उठि प्रात नहा ये बारे के सेवन करे, रोग दोस सब तन से डरे। यह संभवतया भोजपुरी कहावत है। इसका अर्थ अभी पूरा मालूम नहीं है। फिर भी आंचलिक स्‍वर होने के कारण गिरिजेश भोजपुरिया की फेसबुक वॉल से उठाकर यहां लाया हूं। 

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जाट, जमाई भाणजा रेबारी सोनार:::

जाट जमाई भाणजा रेबारी सोनार कदैई ना होसी आपरा कर देखो उपकार जाट : यहां प्रयोग तो जाति विशेष के लिए हुआ है लेकिन मैं किसी जाति पर टिप्‍पणी नहीं करना चाह रहा। उम्‍मीद करता हूं कि इसे सहज भाव से लिया जाएगा। जमाई: दामाद भाणजा: भानजा रेबारी सोनार: सुनारों की एक विशेष जाति इसका अर्थ यूं है कि जाट जमाई भानजे और सुनार के साथ कितना ही उपकार क्‍यों न कर लिया जाए वे कभी अपने नहीं हो सकते। जाट के बारे में कहा जाता है कि वह किए गए उपकार पर पानी फेर देता है, जमाई कभी संतुष्‍ट नहीं होता, भाणजा प्‍यार लूटकर ले जाता है लेकिन कभी मुड़कर मामा को नहीं संभालता और सुनार समय आने पर सोने का काटा काटने से नहीं चूकता। यह कहावत भी मेरे एक मामा ने ही सुनाई। कई बार

चन्द पंजाबी कहावतें

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नंगा और नहाना

एक कहावत : नंगा नहायेगा क्या और निचोडेगा क्या ? यानि जो व्यक्ति नंगा हो वो अगर नहाने बैठेगा तो क्या कपड़ा उतारेगा और क्या कपड़ा धोएगा और क्या कपड़ा निचोडेगा। मतलब " मरे हुए आदमी को मार कर कुछ नही मिलता" । होली की शुभ कामनाये सभी को। माधवी