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मूरख जिंदगी गुजारता है रोते हुए

ज्ञानी काढ़े ज्ञान सूं 
मूरख काढ़े रोय 

काढ़े - गुजारता है या निभाता है 

कहावत का शाब्दिक अर्थ यह है कि जिस व्‍यक्ति के पास ज्ञान होता है वह अपनी जिंदगी के कड़वे मीठे अनुभवों का आंकलन ज्ञान के साथ करता है वहीं मूर्ख आदमी परिस्थितियों का रोना रोते हुए ही जिंदगी गुजार देता है। 

कई बार हताश होता हूं तो मेरी मां मुझे यह कहावत सुना देती हैं। मैं मूरख बनने की बजाय ज्ञानी बनने की चेष्‍टा करने लगता हूं। :) 

Comments

बहुत ज्ञान देने वाली कहावत बताई .
धन्यवाद
amit said…
Aakhir Kyon मूरख जिंदगी गुजारता है रोते हुए
Pauranik KathayenTHANKS FOR ARTICALS

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