पड़ग्या खल्ला उडगी रेत
फूल बगर जिस्सी होयगी रे
पड़ग्या- पड़े हैं
खल्ला - जूते
उडगी- उड़ गई या झड़ गई
फूल बगर - फूल की तरह
जिस्सी - जैसी
जूते पड़ने से शरीर पर पड़ी धूल झड़ गई। इससे वह खुद को फूल की तरह हल्का महसूस कर रही है। यह कहावत आमतौर पर बड़ी बूढी महिलाएं नई छोरियों को व्यंग में कहती है। इसका अर्थ यह है कि डांट-फटकार खाने के बाद भी लड़की पर असर नहीं है। उलटे वह अधिक उत्श्रंखल हो रही है। यहां धूल शर्म और फूल की तरह हलकापन ढिठाई के लिए काम में लिया गया है।
फूल बगर जिस्सी होयगी रे
पड़ग्या- पड़े हैं
खल्ला - जूते
उडगी- उड़ गई या झड़ गई
फूल बगर - फूल की तरह
जिस्सी - जैसी
जूते पड़ने से शरीर पर पड़ी धूल झड़ गई। इससे वह खुद को फूल की तरह हल्का महसूस कर रही है। यह कहावत आमतौर पर बड़ी बूढी महिलाएं नई छोरियों को व्यंग में कहती है। इसका अर्थ यह है कि डांट-फटकार खाने के बाद भी लड़की पर असर नहीं है। उलटे वह अधिक उत्श्रंखल हो रही है। यहां धूल शर्म और फूल की तरह हलकापन ढिठाई के लिए काम में लिया गया है।
Comments
Pauranik Kathayenthanks for articals