बात छिले से रुखा होए , लकडी छिले से चिक्कन ।
मतलब बात को जितना बढाये गे उतनी ही कड़वी हो गी , पर लकडी को जितना ही रगड गे वो उतनी ही सुंदर होगी .अर्थात चीजो की अलग -अलग प्रकृति पर निर्भर करता है कि उसके साथ एक जैसा सलूक हो रहा है और उसके परिणाम अलग आ रहे है।
मतलब बात को जितना बढाये गे उतनी ही कड़वी हो गी , पर लकडी को जितना ही रगड गे वो उतनी ही सुंदर होगी .अर्थात चीजो की अलग -अलग प्रकृति पर निर्भर करता है कि उसके साथ एक जैसा सलूक हो रहा है और उसके परिणाम अलग आ रहे है।
Comments
घुघूती बासूती
प्रकृति के अनुसार लोगों से व्यवहार करना चाहिए। जैसे हिन्दी में कहते हैं गधे और घोड़े को एक ही लाठी से नहीं हांका जा सकता। सपाट और स्पष्ट। इसी में दूसरा अर्थ यह भी कि विवाद को बढ़ाने की बजाय जहां है वहीं रोक देना उत्तम है।
सारगर्भित कहावत