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एक और bihari कहावत

बात छिले से रुखा होए , लकडी छिले से चिक्कन ।
मतलब बात को जितना बढाये गे उतनी ही कड़वी हो गी , पर लकडी को जितना ही रगड गे वो उतनी ही सुंदर होगी .अर्थात चीजो की अलग -अलग प्रकृति पर निर्भर करता है कि उसके साथ एक जैसा सलूक हो रहा है और उसके परिणाम अलग आ रहे है।

Comments

ghughutibasuti said…
सही कह रहे हैं।
घुघूती बासूती
बहुत सुंदर माधवी जी

प्रकृति के अनुसार लोगों से व्‍यवहार करना चाहिए। जैसे हिन्‍दी में कहते हैं गधे और घोड़े को एक ही लाठी से नहीं हांका जा सकता। सपाट और स्‍पष्‍ट। इसी में दूसरा अर्थ यह भी कि विवाद को बढ़ाने की बजाय जहां है वहीं रोक देना उत्‍तम है।
सारगर्भित कहावत
Ashok Pandey said…
बहुत सुंदर और सारगर्भित भोजपुरी कहावत है।
पहली बार आपके इस बेमिसाल ब्लौग पर आया हूं और मुग्ध-मोहित हो जा रहा हूं.मैं बिहार के मिथिलांचल से वास्ता रखता हूं और मेरी मां मैथिली कहावतॊं की संदुकी लिये चलती है,जिन्हें आपके इस ब्लौग पर बांटना चाहूंगा...
Reeva said…
Thanks for writiing

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चैत चना, वैशाख बेल - एक भोजपुरी कहावत

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जाट, जमाई भाणजा रेबारी सोनार:::

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चन्द पंजाबी कहावतें

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नंगा और नहाना

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