सूप तो सूप,
चलनियऊ बोले,
जामें बहत्तर छेद।
इसका तात्पर्य ऐसे लोगों से है जो ख़ुद में कुछ भी नहीं होते पर दूसरों के सामने ख़ुद को साबित करने में लगे रहते हैं। इसका एक अर्थ ये भी है किअपने दोषों को देखे बिना दूसरों के दोष बताने की कोशिश करते रहते हैं।
चलनियऊ बोले,
जामें बहत्तर छेद।
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Pauranik Kathayenthanks for articals