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फरसे का लैणायत

यह कहावत देखने में ऐसा लगता है कि खराब शब्‍दों से बनी है लेकिन है मजेदार और ज्ञान देने वाली भी है। 

गांड रो गड़ और फरसे रो लैणायत 

गांड- गुदा द्वार 
गड़ - जो चुभता है 
फरसा- घर के सामने का स्‍थान 
लैणायत- वह जिसने आपको उधार दिया है 

इसका अर्थ यह हुआ कि गुदा में चुभने वाला यानि मलद्वार का मस्‍सा और घर के सामने रहने वाला लेनदार कभी नहीं होना चाहिए। दोनों नियमित रूप से दुख देते हैं। मस्‍सा रोजाना सुबह तंग करेगा तो लेनदार घर से निकलते घुसते मुस्‍कुराएगा तो भी ऐसा लगेगा कि उधार के रुपए वापस मांग रहा है। इस कारण दोनों की नहीं रखने चाहिए। इसमें दोनों की तुलना भी है और दोनों से बचने की सीख भी दी गई है। 

Comments

प्रणाम
वयस्क शब्दों का प्रयोग है पर अर्थ और भाव बहुत उत्तम है .
धन्यवाद
लोक कहावतों की व्‍यंजना लाजवाब होती हैं।
लोक शब्द हैं तभी तो लोक कहावतें हैं. अर्थ वाकई महत्वपूर्ण है.
amit said…
Aakhir Kyon फरसे का लैणायत
Pauranik KathayenTHANKS FOR ARTICALS

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