इस कहावत के शब्द आपको थोड़े असभ्य और असाहित्यिक लग सकते हैं पर कहावतों का असली मजा तो उनके ठेठपन में ही है न! भारत के गांवों में आज भी बातों कों बेबाक और बेलौस तरीके से कहा जाता है। कोई लाग-लपेट नहीं कोई लीपा-पोती नहीं। तो आइये कहावत पर चलें...
खईता - खाएंगे, भीम - महाभारत के एक पात्र, तऽ - तो,
हगता - मल त्याग करेंगे, सकुनी - महाभारत के एक पात्र
अर्थात जो कर्म करता है वही उसका फल भी पाता है. फल में किसी और की हिस्सेदारी नहीं होती. कर्म अच्छा हो या बुरा उसका फल आपको अकेले ही भोगना है.
सतीश चन्द्र सत्यार्थी
खईता - खाएंगे, भीम - महाभारत के एक पात्र, तऽ - तो,
हगता - मल त्याग करेंगे, सकुनी - महाभारत के एक पात्र
अर्थात जो कर्म करता है वही उसका फल भी पाता है. फल में किसी और की हिस्सेदारी नहीं होती. कर्म अच्छा हो या बुरा उसका फल आपको अकेले ही भोगना है.
सतीश चन्द्र सत्यार्थी
Comments
या बोया पेड़ बाबुल का तो आम कहा से होए .
कुछ ऐसा ही अर्थ इस कहावत का भी है .
सराहनीय प्रयास। धन्यवाद।
Pauranik KathayenTHANKS FOR ARTICALS