हँसुआ के बिआह में खुरपी के गीत
इसका मतलब हुआ माहौल के विपरीत अर्थात बिल्कुल अप्रासंगिक बात करना।
यह कहावत बिहार में बहुत प्रचलित है। अगर किसी विषय पर बात चल रही हो और अचानक कोई एक नयी बात शुरू कर दे तो यह कहावत कही जाती है।
सतीश चंद्र सत्यार्थी
इसका मतलब हुआ माहौल के विपरीत अर्थात बिल्कुल अप्रासंगिक बात करना।
यह कहावत बिहार में बहुत प्रचलित है। अगर किसी विषय पर बात चल रही हो और अचानक कोई एक नयी बात शुरू कर दे तो यह कहावत कही जाती है।
सतीश चंद्र सत्यार्थी
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Pauranik KathayenTHANKS FOR ARTICALS