चइते चना, बइसाखे बेल, जेठे सयन असाढ़े खेल सावन हर्रे, भादो तीत, कुवार मास गुड़ खाओ नीत कातिक मुरई, अगहन तेल, पूस कर दूध से मेल माघ मास घिव खिंच्चड़ खा, फागुन में उठि प्रात नहा ये बारे के सेवन करे, रोग दोस सब तन से डरे। यह संभवतया भोजपुरी कहावत है। इसका अर्थ अभी पूरा मालूम नहीं है। फिर भी आंचलिक स्वर होने के कारण गिरिजेश भोजपुरिया की फेसबुक वॉल से उठाकर यहां लाया हूं।
Comments
खेत खाए गधा , मार खाए जो रहा।
करे कोई भरे कोई की याद दिलाने वाली इस कहावत के पीछे की कहानी अन्य अंचलों के लोगों को पता नहीं होगी तो आप पोस्ट को सुधारकर इसमें शामिल कर दें तो कृपा होगी।
आपके प्रयास के लिए आभार