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जैसे उदई, तैसेई भान


जैसे उदई, तैसेई भान,
न उनके चुटिया, न उनके कान।

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भावार्थ - इसका अर्थ इस रूप में लगाया जाता है जब किसी भी काम को करने के लिए एक जैसे स्वभाव के लोग मिल जायें और काम उनके कारण बिगड़ जाये।
कहा जा सकता है कि बेवकूफों को काम सौंपने से ही इस कहावत का जन्म हुआ होगा।

Comments

मारवाड़ी में भी ऐसी एक कहावत है। घणी दायां जापो बिगाड़े। यानि प्रसूति कराने वाली महिलाओं की संख्‍या अधिक हो तो प्रसूता और बच्‍चे दोनों की स्थिति गड़बड़ हो सकती है। इसलिए प्रसव के दौरान केवल एक ही दाई होती है।
अच्छा लगा जानकर
imnindian said…
bihar me kahte hai:

besi jogi math ujade
matlab jyada yogi ikathe hone se math ujad jata hai basne ki jagah
Rashid Hussain said…
उदई और भान का मतलब वैसे क्या होता है जनाब?
amit said…
Aakhir Kyonजैसे उदई, तैसेई भान
Pauranik KathayenTHANKS FOR ARTICALS

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