बकरे की माई कब तक खैर मनाई
यानि बकरे की माँ का बेटा - बकरा कितने दिन जिन्दा रहे गा ,उसके मोटा - तगडे होने भर का इन्तेजार किया जाता है फ़िर उसे काट कर उसे पलनेवाले खा जाते है। इसलिए बकरे की माँ ज्यादा दिन तक अपने बच्चे होने की खुशी नही मना सकती है।
हम सभी की हालत एक जैसी है कबतक खुशिया मनाये आज नही तो कल वाट लगनेवाली रहती है। खास करके औरतो की । उसके घरवालो को लड़केवालो के सामने आज नही तो कल झुकना पड़ता है लड़की की शादी के लिए, ऐसी मान्यता आज भी हमारे बिहारी समाज में है।
यानि बकरे की माँ का बेटा - बकरा कितने दिन जिन्दा रहे गा ,उसके मोटा - तगडे होने भर का इन्तेजार किया जाता है फ़िर उसे काट कर उसे पलनेवाले खा जाते है। इसलिए बकरे की माँ ज्यादा दिन तक अपने बच्चे होने की खुशी नही मना सकती है।
हम सभी की हालत एक जैसी है कबतक खुशिया मनाये आज नही तो कल वाट लगनेवाली रहती है। खास करके औरतो की । उसके घरवालो को लड़केवालो के सामने आज नही तो कल झुकना पड़ता है लड़की की शादी के लिए, ऐसी मान्यता आज भी हमारे बिहारी समाज में है।
Comments
( Treasurer-S. T. )
जबरा मारै रोवै न दे.
कमाऊ आवे डरता
निखट्टू आवे लड़ता
Vandana