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एक कहावत बिहार की

बकरे की माई कब तक खैर मनाई


यानि बकरे की माँ का बेटा - बकरा कितने दिन जिन्दा रहे गा ,उसके मोटा - तगडे होने भर का इन्तेजार किया जाता है फ़िर उसे काट कर उसे पलनेवाले खा जाते है। इसलिए बकरे की माँ ज्यादा दिन तक अपने बच्चे होने की खुशी नही मना सकती है।
हम सभी की हालत एक जैसी है कबतक खुशिया मनाये आज नही तो कल वाट लगनेवाली रहती है। खास करके औरतो की । उसके घरवालो को लड़केवालो के सामने आज नही तो कल झुकना पड़ता है लड़की की शादी के लिए, ऐसी मान्यता आज भी हमारे बिहारी समाज में है।

Comments

बिहारी समाज का हर समाज में यही स्थिति है। यह कहावत मैंने हिन्‍दी में सुन रखी है। बकरे की नानी कब तक खैर मनाएगी। इसमें बस अंतर यही आता है कि बकरी की नानी के संतान तो बकरी हो जाती है लेकिन नाती बकरा हो जाता है। जिसे हलाल होना ही है।
Meenu Khare said…
वाह इस चीज़ का भी कोई ब्लॉग है देख कर बहुत सुखद लगा. एक कहावत मेरी तरफ़ से भी.

जबरा मारै रोवै न दे.
वंदना मरोदिया said…
आपकी कहावतें पढ़कर अच्छा लगता है. एक कहावत मेरी ओर से-
कमाऊ आवे डरता
निखट्टू आवे लड़ता
Vandana

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