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दो कहावतें मेल से पहुंची

कहावतें ब्‍लॉग के पाठक न सिर्फ पढ़कर फुर्सत पा लेते हैं बल्कि रोचक टिप्‍पणियां भी करते हैं, कभी सलाहें और मशविरे भी होते हैं। कुछेक कहावतें भी आती हैं। पिछले दो दिनों में दो टिप्‍पणियों में दो कहावतें अतिरिक्‍त आई हैं। प्रस्‍तुत हैं

कमाऊ आवे डरता
निखट्टू आवे लड़ता

यह भेजी है Vandanaजी ने


जबरा मारै रोवै न दे.

यह भेजी है मीनू खरेजी ने

दोनों पाठकों का हृदय से आभार और एक सलाह भी कि क्‍यों न वे खुद इस ब्‍लॉग में कभी कभार कहावतें पोस्‍ट किया करें। इन दोनों कहावतों को मैं समझ सकता हूं लेकिन खुद लेखक जो भाव लेकर लिखता है उसकी बराबरी नहीं हो सकती। इसलिए बिना विश्‍लेषण प्रस्‍तुत है जैसी मिली वैसी की वैसी कहावतें।

Comments

Udan Tashtari said…
दोनों कहावतें बढ़िया!!
कहावतों के बहाने अपनी लोकसंस्कृ्ति से परिचिय कराने का आपका ये प्रयास निसंदेह सराहणीय है।।
देखते हैं,हम भी कोई कहावत भेजते हैं!!
पंडितजी आपको आमंत्रण भेज दिया है। और अब शुरू होता है आपकी कहावत का इंतजार...
Meenu Khare said…
अरे वाह ! यह पोस्ट देख कर मज़ा आ गया. अब से विवेचना सहित पोस्ट करूँगी.
अति उत्तम. साधू !
Mithilesh dubey said…
लाजवाब कहावते।
साधू साधू नहीं
कहावतें दोनों
स्‍वादू स्‍वादू
श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएं
amit said…
Aakhir Kyon दो कहावतें मेल से पहुंची
Pauranik KathayenTHANKS FOR ARTICALS

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चैत चना, वैशाख बेल - एक भोजपुरी कहावत

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जाट, जमाई भाणजा रेबारी सोनार:::

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नंगा और नहाना

एक कहावत : नंगा नहायेगा क्या और निचोडेगा क्या ? यानि जो व्यक्ति नंगा हो वो अगर नहाने बैठेगा तो क्या कपड़ा उतारेगा और क्या कपड़ा धोएगा और क्या कपड़ा निचोडेगा। मतलब " मरे हुए आदमी को मार कर कुछ नही मिलता" । होली की शुभ कामनाये सभी को। माधवी