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कर में लागल आग ?

भोजपुरी जितनी मीठी भाषा है उतनी ही मीठी हैं इसकी कहावतें; जिनसे यहाँ के ग्राम्य जीवन के अनुभव झलक पड़ते हैं. ऐसी ही एक कहावत है - "घर के मारल बन में गइली, बन में लागल आग। बन बेचारा का करे कि कर में लागल आग ?"
अर्थात यदि तकदीर ही अपने पक्ष में न हो (हाथों की लकीरें) तो आदमी चाहे घर में रहे या वन में परेशानियाँ पीछा करती ही रहती हैं. इसी की एक समानार्थक कहावत है- " जाओ चाहे नेपाल, साथ जायेगा कपाल". यानि- चाहे कहीं भी जाओ आपकी किस्मत आपका साथ नही छोड़ने वाली.

Comments

शोभा said…
बहुत मीठी है भोजपुरी सच में. .
Anonymous said…
bahut sundar vichar
seema gupta said…
"really interesting to read"

Regards
Unknown said…
very nice...
keep it up......
बहुत ही बढ़िया लगा यह ब्लॉग पढ़ना ..नई नई बातें पता चली ..बहुत बढ़िया
Anonymous said…
ऐसा लगता है विभिन्न अंचलों में विभिन्न बोलियों में लगभग एक सी कहावतें हैं | भोजपुरी कहावतों के लिए धन्यवाद |
Jimmy said…
bouth he aacha likhaa aapne dear''



Shyari Is Here Visit Jauru Karo Ji

http://www.discobhangra.com/shayari/sad-shayri/

Etc...........
Doobe ji said…
namaskar sir sach mein bhojpuri bahut hi meethe bhasha hai isi tarha muhavre batate rahiye hum bhi bhojpuri thodi bahut seekh jayenge
"मेरे अंचल की कहावतें"
lagta hai khud ke andar kuch mar gaya tha jisko aapne phir se zinda kar diya.....
Sadhubaad

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