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उत्तम बुद्धि बाणिया

उत्तम बुद्धि बाणिया
पच्‍छम बुद्धि जाट
बामण सपम्‍मपाट

सबसे अधिक अक्‍ल बणिए में होती है, सबसे कम जाट में और ब्राह्मण दिमाग से सपाट होता है। यहां अक्‍ल लगाने के हिसाब से वर्गीकरण किया गया है। वणिक काफी आगा पीछा सोचकर काम करता है और काफी अधिक सही निर्णय लेता है। जाट या किसान आगा पीछा सोचे बिना निर्णय ले लेता है। और बामण यानि ब्राह्मण सोचता ही नहीं है।

आमतौर पर यह कहावत ब्राह्मण परिवारों में कही जाती है। इसका इस्‍तेमाल तब होता है जब कोई व्‍यक्ति निर्णय लेकर भी उस निर्णय के बारे में कोई स्‍पष्‍ट जस्टिफिकेशन नहीं दे पाता है।

Comments

Udan Tashtari said…
पहली बार सुना!!
Anonymous said…
ये कहावत बदलने की ज़रुरत है । अब वक्त बदल गया है । वैसे भी उत्तर प्रदेश और बिहार के ब्राह्मणों पर ये कहावत कभी लागू ही नहीं हो सकती । उनका हर कदम सोचा - समझा और केल्कुलेटिव होता है ।
Anonymous said…
ये कहावत बदलने की ज़रुरत है । अब वक्त बदल गया है । वैसे भी उत्तर प्रदेश और बिहार के ब्राह्मणों पर ये कहावत कभी लागू ही नहीं हो सकती । उनका हर कदम सोचा - समझा और केल्कुलेटिव होता है ।

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