मां-मौसी वैसे तो बातों-बातों में कई मुहावरें बोल जाती हैं, कुछ उनकी यादों के पिटारे में से।
//लड़का भीर त जाइब ना
जवनका है भाई
बुढ़ऊ के त छोड़ब न
कितनो ओढ़ियें रजाई
ये जाड़े की धमकी है संभल जाने के लिए
मायने- बच्चे के पास आया तो जाऊंगा नहीं, जवान लोग तो अपने दोस्त की तरह हैं, क्योंकि उनपर ठंड का कोई असर होता नहीं और बूढ़ों को तो किसी सूरत में नहीं छोड़ूंगा चाहे कितनी ही रजाई ओढ़ लें, बूढ़ों को ठंड जल्दी लगती है//
//चोर चाहे हीरे क या खीरे का चोर, चोर ही होता है
नसीहत-चोरी चाहे छोटी हो या बड़ी, वो चोरी ही कहलाती है।//
//आनर गुरू बहिर चेला
मांगे गुड़ देवे ढेला
मायने- अंधा गुरू, बहरा चेला, गुड़ मांगा और दिया पत्थर। ये मूर्खता पर किया गया व्यंग है। //
//लड़का भीर त जाइब ना
जवनका है भाई
बुढ़ऊ के त छोड़ब न
कितनो ओढ़ियें रजाई
ये जाड़े की धमकी है संभल जाने के लिए
मायने- बच्चे के पास आया तो जाऊंगा नहीं, जवान लोग तो अपने दोस्त की तरह हैं, क्योंकि उनपर ठंड का कोई असर होता नहीं और बूढ़ों को तो किसी सूरत में नहीं छोड़ूंगा चाहे कितनी ही रजाई ओढ़ लें, बूढ़ों को ठंड जल्दी लगती है//
//चोर चाहे हीरे क या खीरे का चोर, चोर ही होता है
नसीहत-चोरी चाहे छोटी हो या बड़ी, वो चोरी ही कहलाती है।//
//आनर गुरू बहिर चेला
मांगे गुड़ देवे ढेला
मायने- अंधा गुरू, बहरा चेला, गुड़ मांगा और दिया पत्थर। ये मूर्खता पर किया गया व्यंग है। //
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आपने यहां पोस्टिंग शुरू कर दी इसके लिए आभार।
उम्मीद करते हैं कि शीघ्र ही आपकी मां और मौसी से सुनी कई और कहावतें भी पढ़ने को मिल सकेंगी।