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अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काम ,
दास मलूका कह गए सब के दाता राम ..
तात्पर्य -  अजगर किसी की नौकरी नहीं करता और पक्षी भी कोई काम नहीं करते भगवान सबका पालन हार है इसलिए कोई काम मात करो भगवान स्वयं ही देगा आलसी लोगों के लिए मलूक दास जी की ये पंक्तियाँ रामबाण है !

Comments

अरे भईया उस भगवान ने दिमाग किस लिये दिया है? मुझे लगता है यह मुहावरा सिर्फ़ निक्कमे लोगो के लिये ही बना है, इसी लिये भारत मै ८०% लोग इस मुहावरे के हिसाब से ही करते है

मै तो हंस हंस के लोट पोट हो रहा हुं जी.
धन्यवाद
प्रत्‍येक पुरानी कहावतों का कुछ अच्‍छा अर्थ तो अवश्‍य है !!
Ashok Suryavedi said…
thanks for comments . SURYAVEDI.
Unknown said…
BINA KARE KISI KA PATE NAHI BHARTA KHANE ME BHI MEHNAT KARNI PADTI HAI
LEKIN YE BAAT BHI PATHTHAR KI LAKIR HAI KI SABKE DATA RAM HAI
SABKI APNI APNI SOCH HAI
Anonymous said…
aisi saari kahawtein hamare desh mein hi fit hoti hain dushre deshon mein nahi
Unknown said…
Such comments suit people like you. Check out the spellings in the description
D.K. Sharma said…
मैं एक पक्षी प्रेमी हूँ और जब पक्षियों को ब्भोजन के लिए अनवरत महनत करते देखता हूँ तो मुझे दास मलूका का ये दोहा बार बार ध्यान आता है. यदि दास मलूका ने इन पक्षियों को काम करते देखा होता तो वो 'पंछी करे ना काम' कभी नहीं कहते
Anonymous said…
Yaha, app eska artha galat tarikey se le rahey hai, yha malook daas ji ye kahin nahi kaha ki aap kaam nahi karey. yha wo kehna chahtey hai ki jo azgar chakri nahi karta, or jo panchi koi kaam bhi nahi karta, unkey liye bhi raam ji bhojan ka prabandh kar detey hai, kisi ko bhookha nahi rahney detey. Wo sarv vyapi hai or sabka khyaal rakhtey hai. Esliye aap unka naam ki mahima janiye. Es dohey k peechey ek poori kahani hai, please aap esko padey or eska sahi arth samjhey.. http://www.prabhusharnam.com/%E0%A4%85%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%87-%E0%A4%A8-%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%AA%E0%A4%82%E0%A4%9B%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%87-%E0%A4%A8/
Anonymous said…
Bahut thik vimarsh hai mahodaya

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चैत चना, वैशाख बेल - एक भोजपुरी कहावत

चइते चना, बइसाखे बेल, जेठे सयन असाढ़े खेल  सावन हर्रे, भादो तीत, कुवार मास गुड़ खाओ नीत  कातिक मुरई, अगहन तेल, पूस कर दूध से मेल  माघ मास घिव खिंच्चड़ खा, फागुन में उठि प्रात नहा ये बारे के सेवन करे, रोग दोस सब तन से डरे। यह संभवतया भोजपुरी कहावत है। इसका अर्थ अभी पूरा मालूम नहीं है। फिर भी आंचलिक स्‍वर होने के कारण गिरिजेश भोजपुरिया की फेसबुक वॉल से उठाकर यहां लाया हूं। 

एक कहावत

न नौ मन तेल होगा , न राधा नाचेगी । ये कहावत की बात पुरी तरह से याद नही आ रही है, पर हल्का- हल्का धुंधला सा याद है कि ऐसी कोई शर्त राधा के नाचने के लिए रख्खी गई थी जिसे राधा पुरी नही कर सकती थी नौ मन तेल जोगड़ने के संदर्भ में । राधा की माली हालत शायद ठीक नही थी, ऐसा कुछ था। मूल बात यह थी कि राधा के सामने ऐसी शर्त रख्खइ गई थी जो उसके सामर्थ्य से बाहर की बात थी जिसे वो पूरा नही करपाती। न वो शर्त पूरा कर पाती ,न वो नाच पाती।

जाट, जमाई भाणजा रेबारी सोनार:::

जाट जमाई भाणजा रेबारी सोनार कदैई ना होसी आपरा कर देखो उपकार जाट : यहां प्रयोग तो जाति विशेष के लिए हुआ है लेकिन मैं किसी जाति पर टिप्‍पणी नहीं करना चाह रहा। उम्‍मीद करता हूं कि इसे सहज भाव से लिया जाएगा। जमाई: दामाद भाणजा: भानजा रेबारी सोनार: सुनारों की एक विशेष जाति इसका अर्थ यूं है कि जाट जमाई भानजे और सुनार के साथ कितना ही उपकार क्‍यों न कर लिया जाए वे कभी अपने नहीं हो सकते। जाट के बारे में कहा जाता है कि वह किए गए उपकार पर पानी फेर देता है, जमाई कभी संतुष्‍ट नहीं होता, भाणजा प्‍यार लूटकर ले जाता है लेकिन कभी मुड़कर मामा को नहीं संभालता और सुनार समय आने पर सोने का काटा काटने से नहीं चूकता। यह कहावत भी मेरे एक मामा ने ही सुनाई। कई बार

चन्द पंजाबी कहावतें

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नंगा और नहाना

एक कहावत : नंगा नहायेगा क्या और निचोडेगा क्या ? यानि जो व्यक्ति नंगा हो वो अगर नहाने बैठेगा तो क्या कपड़ा उतारेगा और क्या कपड़ा धोएगा और क्या कपड़ा निचोडेगा। मतलब " मरे हुए आदमी को मार कर कुछ नही मिलता" । होली की शुभ कामनाये सभी को। माधवी