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छाया बखत की चाहे कैर ही हो,
चलना रास्ते का चाहे फेर ही हो,
बैठना भाइयों में चाहे बैर ही हो

Comments

Anshul said…
इसका मतलब जो में समझता हूँ :

चीज़ समय से मिले वो ही अच्छी है
काम इमानदारी से ही करना चाहे थोडा फेर ही क्यों न हो जाए
और रहना भाइयों के साथ चाहे बैर ही हो
Udan Tashtari said…
सही व्याख्या, अंशुल जी!
सुंदर कहावत अंशुल जी


इसे कहते हैं एंट्री...

उम्‍मीद है आगे भी आपकी अच्‍छी कहावतें मिलती रहेंगी।
बैठना भाइयों में चाहे बैर ही हो
..... प्रभावशाली अभिव्यक्ति !!!!
Anshul said…
जी, धन्यवाद इन सभी मधुर टिप्पणियों के लिए
वैसे ये मेरा मानना है की कहावतें हमारें पूर्वजों के अनुभव को हम तक पहुंचाने का सबसे सुलभ तरीका है

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