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वाह रे म्‍हारा घर रा धणी

वाह रे म्‍हारा घर रा धणी
मारी थोड़ी घीसी घणी


म्‍हारा: मेरे
धणी: मालिक
घीसी: घसीटा
घणी: ज्‍यादा

यहां पत्‍नी अपने पति पर व्‍यंग करती है कि जिस बात पर लड़ाई हुई है उसके लिए मुझे मारा तो कम लेकिन बाजार में ले जाकर घसीटा अधिक। यानि चोट कम की और मानहानि अधिक। ऐसा उलाहना आमतौर पर छोटी सी बात का बतंगड़ बनाने वाले व्‍यक्ति को दिया जाता है।

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आपका प्रयास बहुत सराहनीय है। लोकोक्तियों में मानवीय अनुभव न्हरा पड़ा है। इन कहावतों के गागर में सागर भरा होता है।

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एक कहावत

न नौ मन तेल होगा , न राधा नाचेगी । ये कहावत की बात पुरी तरह से याद नही आ रही है, पर हल्का- हल्का धुंधला सा याद है कि ऐसी कोई शर्त राधा के नाचने के लिए रख्खी गई थी जिसे राधा पुरी नही कर सकती थी नौ मन तेल जोगड़ने के संदर्भ में । राधा की माली हालत शायद ठीक नही थी, ऐसा कुछ था। मूल बात यह थी कि राधा के सामने ऐसी शर्त रख्खइ गई थी जो उसके सामर्थ्य से बाहर की बात थी जिसे वो पूरा नही करपाती। न वो शर्त पूरा कर पाती ,न वो नाच पाती।

जाट, जमाई भाणजा रेबारी सोनार:::

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नंगा और नहाना

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