जरणी जणै तो रतन जण, कै दाता कै सूर।
नींतर रहजै बांझड़ी, मती गमाजै नूर।।
नींतर रहजै बांझड़ी, मती गमाजै नूर।।
यह कहावत मैं कीर्ति कुमार जी के ब्लॉग अपनी भाषा अपनी बात से उठाकर लाया हूं।
जरणी- माता
जणै- पैदा करे
रतन- रत्न
सूर- शूरवीर
नींतर - नहीं तो
रहजै- रहना
गमाजै - गुमाना
अर्थ: इसमें स्त्री को सलाह दी गई है कि अगर पैदा ही करना है तो या तो वीर पुत्र पैदा करना या फिर दाता। वरना बांझड़ी रह जाना। बिना बात अपना नूर मत खो देना। शूरवीरों और दानदाताओं की धरती राजस्थान में यह लोकोक्ति बहुत आम है।
Comments
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
नूर को शारीरिक सुंदरता से लिया गया है न कि चेहरे की। इसलिए कंफ्यूजन हो रहा है। :)
Pauranik Kathayenthanks for articals