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चन्द पंजाबी कहावतें

1. जून फिट्ट् के बाँदर ते मनुख फिट्ट के जाँजी

(आदमी अपनी जून खोकर बन्दर का जन्म लेता है, मनुष्य बिगड कर बाराती बन जाता है. बारातियों को तीन दिन जो मस्ती चढती है, इस कहावत में उस पर बडी चुटीली मार है.)

2. सुत्ते पुत्तर दा मुँह चुम्मिया
न माँ दे सिर हसा
न प्यौ से सिर हसान


(सोते बच्चे के चूमने या प्यार-पुचकार प्रकट करने से न माँ पर अहसान न बाप पर)

3. घर पतली बाहर संगनी ते मेलो मेरा नाम

(घर वालों को पतली छाछ और बाहर वालों को गाढी देकर अपने को बडी मेल-जोल वाली समझती है)

4. उज्जडियां भरजाईयाँ वली जिनां दे जेठ

(जिनके जेठ रखवाले हों, वे भौजाईयाँ (भाभियाँ) उजडी जानिए)

Comments

वाह जी हम ने यह पहली बार सुनी हे, लेकिन मजा आ गया, बहुत चंगी चंगी काअवता हेंगी जी
Udan Tashtari said…
अच्छा लगा इन्हें जानकर...
क्‍या बात है पंडित जी एक साथ तीन-तीन।

यह तो पूरा पैकेज हो गया।

अच्‍छी कहावतें...
बहुत अच्छी कहावतें|
Anonymous said…
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PandithSuresh said…
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amit said…
Aakhir Kyonचन्द पंजाबी कहावतें
Pauranik Kathayenthanks for articals

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चैत चना, वैशाख बेल - एक भोजपुरी कहावत

चइते चना, बइसाखे बेल, जेठे सयन असाढ़े खेल  सावन हर्रे, भादो तीत, कुवार मास गुड़ खाओ नीत  कातिक मुरई, अगहन तेल, पूस कर दूध से मेल  माघ मास घिव खिंच्चड़ खा, फागुन में उठि प्रात नहा ये बारे के सेवन करे, रोग दोस सब तन से डरे। यह संभवतया भोजपुरी कहावत है। इसका अर्थ अभी पूरा मालूम नहीं है। फिर भी आंचलिक स्‍वर होने के कारण गिरिजेश भोजपुरिया की फेसबुक वॉल से उठाकर यहां लाया हूं। 

एक कहावत

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