काग घोंसला मारिये , मसि भींजत परिहार !  जाट जरुरी मारिये , घुट्नन चलत खंगार ! !  तात्पर्य - काग (कौआ) परिहार, जाट और खंगार ये चार चतुर चालक शत्रु होते हैं अगर इनसे बैर है तो कौए को घोसले में ही , परिहार को मूंछ निकलने से पहले , जाट को जब भी मौका मिले और खंगार को जब वह बच्चा हो तब ही मार देना चाहिए  बर्ना देर हो जाएगी !