खुद करै तो खेती,
नईं तौ बंजर हैती।
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भावार्थ -
इसका अर्थ यह है कि हमें अपने काम स्वयं करने चाहिए। किसी के भरोसे पर काम छोड़ने से उसमें हानि ही होती है। इसी कारण से इस कहावत में खेती का उदाहरण दिया गया है।
याद है नानी-दादी की कहावतें
खुद करै तो खेती,
नईं तौ बंजर हैती।
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भावार्थ -
इसका अर्थ यह है कि हमें अपने काम स्वयं करने चाहिए। किसी के भरोसे पर काम छोड़ने से उसमें हानि ही होती है। इसी कारण से इस कहावत में खेती का उदाहरण दिया गया है।
Comments
kahavaten kitna kuchh sikhati hain.
धन्यवाद
आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी भीनी भीनी सी बधाई।
बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है
इसके लिए आभार।
AAP SABKO HOLI KI SHUBHKAMNAYE....
MADHAVI SHREE
Pauranik KathayenTHANKS FOR ARTICALS