चिलम तमाखू हुक्का , साहब चोर उचक्का !! यह कहावत बुंदेलखंड के खंगार काल से जुडी है यहाँ उपयुक्त साहब शब्द ने यवन शब्द का स्थान ग्रहण किया है . बुन्देली जन मानस के दिमाग में उस समय तक यह धरना थी की यवन चोर उचक्के होते हैं इनसे किसी तरह का व्यवहार नहीं रखना है . बाद में यही कहावत अफसर वर्ग के लिए प्रयोग में लाई जाने लगी ..
याद है नानी-दादी की कहावतें