रत्ती रत्ती साधै तौ द्वारै हाती होयै।
रत्ती रत्ती खोबै तो द्वारै बैठके रोये।।
भावार्थ -
इसका अर्थ है कि यदि थोड़ा-थोड़ा करके जोड़ा जाये तो धन-सम्पदा प्राप्त होती है। इसे ही सांकेतिक रूप में हाथी बांधने से समझाया गया है। इसी तरह यदि थोड़ा-थोड़ा ही गंवाया जाता रहे तो रोने की नौबत आ जाती है। अर्थात हमेशा सोच-समझ कर ही खर्च करना चाहिए।
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Pauranik KathayenTHANKS FOR ARTICALS