बाढे पूत पिता के धर्मे, खेती उपजे अपने करमे।
यानि बेटा पिता के पुण्य प्रताप से बढ़ता है , और किसान की खेती अपने कर्म का परिणाम होती है। यानि की मेहनत का।
यानि बेटा पिता के पुण्य प्रताप से बढ़ता है , और किसान की खेती अपने कर्म का परिणाम होती है। यानि की मेहनत का।
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कर्म और भाग्य दोनों ही जरुरी है , बिना कर्म के भाग्य कुछ नहीं कर सकता और भाग्य नहीं है तो कर्म भी विफल हो जाता है .