बड़े हुआ तो क्या हुआ , जैसे पेड़ खजूर ; पंछी को छाया नही फल भी लगे अति दूर ।
यानि अगर आप बड़े/ धनवान / संपन्न हुए तो क्या हुआ, पर आप की अवस्था तो किसी कंजूस की तरह है जो सिर्फ़ अपने आप तक ही सीमित रहता है , जैसे खजूर के पेड़ से किसी को फायदा नही पहुचता , न ही राहगीर को छाया मिलती है न ही पंछी उस पर बैठ पता है। वैसे ही कंजूस व्यक्ति से समाज का कोई भला नही होता।
यानि अगर आप बड़े/ धनवान / संपन्न हुए तो क्या हुआ, पर आप की अवस्था तो किसी कंजूस की तरह है जो सिर्फ़ अपने आप तक ही सीमित रहता है , जैसे खजूर के पेड़ से किसी को फायदा नही पहुचता , न ही राहगीर को छाया मिलती है न ही पंछी उस पर बैठ पता है। वैसे ही कंजूस व्यक्ति से समाज का कोई भला नही होता।
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यह कहावत सिर्फ आपके अंचल में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लोकप्रिय है.