नंगन की गड़ई भई,
बार बार हगन गई।
गड़ई का अर्थ है, लोटा जो कि एक धातुपात्र होता है
एक गॉंव के दरिद्र व्यक्ति, जिसके पास कुछ भी नहीं होता है, को अचानक एक
मिटृटी का पात्र मिल जाता है। अब चूँकि वह व्यक्ति तो दरिद्रता की वज़ह
से ही प्रसिद्ध था, अत: व़ह परेशानी में था कि अब कैसे गॉंव के लोगों को
यह पात्र दिखाकर अपनी धाक जमावे। तो वह बार-बार पात्र में जल भरकर शौच के
लिए जाता, जिससे लोगों को पता चल जाए कि दरिद्र के पास एक पात्र है।
अर्थात किसी मनुष्य के पास जब कोई वस्तु आती है, तो वह दुनिया को उस
वस्तु को दिखाने के सौ-सौ बहाने ढूँढा करता है। अब देखिए न, वह दरिद्र
व्यक्ति जिसके पास खाने-पीने की व्यवस्था तक नहीं है, वह मिट्टी का
पात्र लेकर बार-बार शौच के लिए जाता है, सिर्फ़ प्रदर्शन के लिए।
यह पोस्ट हमारे दोस्त अशोक कुमार वर्मा ने मेल से भेजा है। उनके इस सहयोग के लिए हार्दिक आभार। अन्य अंचलों के साथियों से भी अनुरोध है कि इस विद्या को बढाने में सहयोग करें।
बार बार हगन गई।
गड़ई का अर्थ है, लोटा जो कि एक धातुपात्र होता है
एक गॉंव के दरिद्र व्यक्ति, जिसके पास कुछ भी नहीं होता है, को अचानक एक
मिटृटी का पात्र मिल जाता है। अब चूँकि वह व्यक्ति तो दरिद्रता की वज़ह
से ही प्रसिद्ध था, अत: व़ह परेशानी में था कि अब कैसे गॉंव के लोगों को
यह पात्र दिखाकर अपनी धाक जमावे। तो वह बार-बार पात्र में जल भरकर शौच के
लिए जाता, जिससे लोगों को पता चल जाए कि दरिद्र के पास एक पात्र है।
अर्थात किसी मनुष्य के पास जब कोई वस्तु आती है, तो वह दुनिया को उस
वस्तु को दिखाने के सौ-सौ बहाने ढूँढा करता है। अब देखिए न, वह दरिद्र
व्यक्ति जिसके पास खाने-पीने की व्यवस्था तक नहीं है, वह मिट्टी का
पात्र लेकर बार-बार शौच के लिए जाता है, सिर्फ़ प्रदर्शन के लिए।
यह पोस्ट हमारे दोस्त अशोक कुमार वर्मा ने मेल से भेजा है। उनके इस सहयोग के लिए हार्दिक आभार। अन्य अंचलों के साथियों से भी अनुरोध है कि इस विद्या को बढाने में सहयोग करें।
Comments
अशोक जी का भी ब्लाग बनवा दीजिये.