बींद रै पडे राळयों तो
जॉनी बिचारा क्या करे
बींद: वर
राळयो: लार टकपना
जॉनी: बारात में साथ आए लोग
इसका अर्थ है कि समस्या का मुख्य किरदार ही लालच में है तो जुडे हुए अन्य लोग तो उसका कुछ भी समाधान करने में समर्थ नहीं होंगे।
कहानी इस तरह है कि- वर को लेकर बाराती दुल्हन के घर तक जाते हैं। बारात पहुंचती है तो उसका ढंग से स्वागत नहीं किया जाता। वधू पक्ष के लोग भी खातिर नहीं करते। व्यवस्थाएं गडबडाई हुई होती हैं। इस पर लोग वर के पिता से शिकायत करते हैं। वर का पिता इतने खराब व्यवहार को देखते हुए शादी तोडने के लिए तैयार हो जाता है लेकिन वर अपनी फियांसी पर लट्टू होता है। न तो शादी टूटती है और न अतिथियों का सत्कार होता है। अब रिश्तेदार बार-बार वर के पिता के पास शिकायत लेकर आते हैं। तो वर का पिता कहता है बींद रै पडे राळयो तो जॉनी बिचारा क्या करे। इस कहावत को अन्य प्रकार की समस्याओं में भी इस्तेमाल किया जाता है बस वर की तरह समस्या में मुख्य किरदार लालच में फंसा हुआ होना चाहिए।
जॉनी बिचारा क्या करे
बींद: वर
राळयो: लार टकपना
जॉनी: बारात में साथ आए लोग
इसका अर्थ है कि समस्या का मुख्य किरदार ही लालच में है तो जुडे हुए अन्य लोग तो उसका कुछ भी समाधान करने में समर्थ नहीं होंगे।
कहानी इस तरह है कि- वर को लेकर बाराती दुल्हन के घर तक जाते हैं। बारात पहुंचती है तो उसका ढंग से स्वागत नहीं किया जाता। वधू पक्ष के लोग भी खातिर नहीं करते। व्यवस्थाएं गडबडाई हुई होती हैं। इस पर लोग वर के पिता से शिकायत करते हैं। वर का पिता इतने खराब व्यवहार को देखते हुए शादी तोडने के लिए तैयार हो जाता है लेकिन वर अपनी फियांसी पर लट्टू होता है। न तो शादी टूटती है और न अतिथियों का सत्कार होता है। अब रिश्तेदार बार-बार वर के पिता के पास शिकायत लेकर आते हैं। तो वर का पिता कहता है बींद रै पडे राळयो तो जॉनी बिचारा क्या करे। इस कहावत को अन्य प्रकार की समस्याओं में भी इस्तेमाल किया जाता है बस वर की तरह समस्या में मुख्य किरदार लालच में फंसा हुआ होना चाहिए।
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