ओलम मसि अधम्म बाप पढ़े ना हम्म !!
भावार्थ :- यूँ तो इस बुन्देलखंडी कहावत को संस्कृत के वाकया ॐ नमः सिद्धं , का अपभ्रंस माना जाता है . किन्तु यह कहावत बुंदेलखंड के खंगार राजवंश जुडी है . खंगार काल में बुंदेलखंड जुझौती प्रदेश के नाम से जाना जाता था . खंगार राजा जुझारू संस्कृति के पालक पोषक थे . जिनके स्वाभिमान के किस्से बुंदेलखंड में गाये जाते है . तो इस कहावत का अर्थ है कि अरबी फारसी अधम ( अपवित्र , नीच ) लोगो कि भाषा है इसको ना हमारे पूर्वजो ने पढ़ा है ना हम पढेंगे क्योंकि ऐसा करने से हम भी अधम ( अपवित्र , नीच ) हो जायेंगे !!!!!
भावार्थ :- यूँ तो इस बुन्देलखंडी कहावत को संस्कृत के वाकया ॐ नमः सिद्धं , का अपभ्रंस माना जाता है . किन्तु यह कहावत बुंदेलखंड के खंगार राजवंश जुडी है . खंगार काल में बुंदेलखंड जुझौती प्रदेश के नाम से जाना जाता था . खंगार राजा जुझारू संस्कृति के पालक पोषक थे . जिनके स्वाभिमान के किस्से बुंदेलखंड में गाये जाते है . तो इस कहावत का अर्थ है कि अरबी फारसी अधम ( अपवित्र , नीच ) लोगो कि भाषा है इसको ना हमारे पूर्वजो ने पढ़ा है ना हम पढेंगे क्योंकि ऐसा करने से हम भी अधम ( अपवित्र , नीच ) हो जायेंगे !!!!!
Comments
यह तो वक्त वक्त की बात है !!
Pauranik Kathayenthanks for articals