कहावतें ब्लॉग के पाठक न सिर्फ पढ़कर फुर्सत पा लेते हैं बल्कि रोचक टिप्पणियां भी करते हैं, कभी सलाहें और मशविरे भी होते हैं। कुछेक कहावतें भी आती हैं। पिछले दो दिनों में दो टिप्पणियों में दो कहावतें अतिरिक्त आई हैं। प्रस्तुत हैं
कमाऊ आवे डरता
निखट्टू आवे लड़ता
निखट्टू आवे लड़ता
यह भेजी है Vandanaजी ने
जबरा मारै रोवै न दे.
यह भेजी है मीनू खरेजी ने
दोनों पाठकों का हृदय से आभार और एक सलाह भी कि क्यों न वे खुद इस ब्लॉग में कभी कभार कहावतें पोस्ट किया करें। इन दोनों कहावतों को मैं समझ सकता हूं लेकिन खुद लेखक जो भाव लेकर लिखता है उसकी बराबरी नहीं हो सकती। इसलिए बिना विश्लेषण प्रस्तुत है जैसी मिली वैसी की वैसी कहावतें।
Comments
देखते हैं,हम भी कोई कहावत भेजते हैं!!
कहावतें दोनों
स्वादू स्वादू
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को प्रगति पथ पर ले जाएं।
Pauranik KathayenTHANKS FOR ARTICALS