कानी अपनों टेंट न निहारे,
दूजे को पर-पर झांके।
टेंट=दोष
निहारे=देखना
दूजे=दूसरे को
पर-पर=लेट-लेट कर
झांके=देखना
कहा जाता है कि दोषी या ग़लती करने वाला अपने दोष या अपनी ग़लती पर ध्यान नहीं देता है पर दूसरे के दोषों या ग़लती को बताने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है.
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(यानी औकात से बाहर का काम)
२)पतुरिया की धोतिया जले,गुन्दा गाडं सेके।
(यानी किसी की मुसीबत के वक्त भी अपना स्वार्थ साधना)
३)गांड खौरही,मखमल की ध्वजा।
(खौरही=खुजली युक्त,ध्वजा=लन्गोटी)
माफ़ी के साथ
आप चाहे तो इसे हटा सकते हैं लेकिन यह मेरे गावं मे कहा जाता है