tag:blogger.com,1999:blog-4002796966714094837.post2158749958133287927..comments2023-12-24T13:07:46.507-08:00Comments on मेरे अंचल की कहावतें: सौ कोस तक घी खाते रहोAstrologer Sidharthhttp://www.blogger.com/profile/04635473785714312107noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-4002796966714094837.post-47120976885551088142023-03-29T05:51:20.085-07:002023-03-29T05:51:20.085-07:00Aakhir Kyonसौ कोस तक घी खाते रहो
Pauranik Kathayen...<a href="https://www.aakhirkyon.in" rel="nofollow">Aakhir Kyon</a>सौ कोस तक घी खाते रहो<br /><a href="https://www.aakhirkyon.in/2017/08/mythological-stories-pauranik-katha.html" rel="nofollow">Pauranik Kathayen</a>thanks for articalsamithttps://www.aakhirkyon.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4002796966714094837.post-84647995029640018832009-01-23T18:23:00.000-08:002009-01-23T18:23:00.000-08:00... कुछ नई कहावतें भी जानने का मौका मिल रहा है, प्...... कुछ नई कहावतें भी जानने का मौका मिल रहा है, प्रसंशनीय है।कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4002796966714094837.post-79457751792254234132009-01-23T02:50:00.000-08:002009-01-23T02:50:00.000-08:00अनूप जी की बात पर इस कहावत का पहला अर्थ तो शायद यह...अनूप जी की बात पर <BR/><BR/><BR/>इस कहावत का पहला अर्थ तो शायद यही होगा लेकिन मेरी पड़नानी इससे सहमत नहीं थी। वे कहती थीं कि किसी को कुछ यदि आज दिया जाए और परवाह नहीं की जाए कि लेने वाला लौटाएगा या नहीं तो भी आपकी चीज किसी न किसी फार्म में वापस आ जाएगी। <BR/><BR/>पिछले दिनों मैंने कहीं पढ़ा कि सूक्ष्म तरंगों के माध्यम से सृष्टि का हर इंसान एक-दूसरे से जुड़ा है। किसी एक से किया गया संवाद आगे चलता रहता है। एक दिन लौटकर भी आता है। भले ही उस आदमी से न आए जिससे आपने संवाद किया था। उसी दौरान मुझे यह कहावत फिर से याद आ गई। <BR/>अब यह अध्यात्मिक बात और कहावत हो सकता है देश काल परिस्थिति के कारण आपस में जुड़ गए हों। <BR/><BR/>इसीलिए कह रहा था कि इसका स्वाद तो आ रहा है लेकिन प्रकट नहीं कर पा रहा हूं।Astrologer Sidharthhttps://www.blogger.com/profile/04635473785714312107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4002796966714094837.post-11119630982959639932009-01-23T01:22:00.000-08:002009-01-23T01:22:00.000-08:00पहली बार सुनी यह ..रोचक है बात तोपहली बार सुनी यह ..रोचक है बात तोरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4002796966714094837.post-40478061977739419632009-01-23T00:47:00.000-08:002009-01-23T00:47:00.000-08:00यह कहावत उस समय कि है जब घर के खाद्य पदार्थो का मह...यह कहावत उस समय कि है जब घर के खाद्य पदार्थो का महत्व होता था तथा साधनों के आभाव में लोग अधिकतर पैदल चलते थे तथा यात्रा में हर कही बाज़ार में घी बिकता नही था. इसका अर्थ यह नही है कि घर का निकाला हुआ घी खाया हो तो तीन सौ किलोमीटर तक बिना थके चल सकते हैं। इस कहावत का अर्थ एकदम सरल है कि अगर घर से बाहर निकलने के पूर्व घर का निकाला हुआ घी खाया हो तो उसका प्रभाव तीन सौ किलोमीटर तक रहेगा. इसका अर्थ बिना थके चलने से नही है बल्कि खाई हुई वस्तु के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव से है.एक स्वतन्त्र नागरिकhttps://www.blogger.com/profile/12076990707024302030noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4002796966714094837.post-54791106476027277482009-01-22T22:32:00.000-08:002009-01-22T22:32:00.000-08:00Mujhe to aisa lagta hai jaise apna ghee aadmi kifa...Mujhe to aisa lagta hai jaise apna ghee aadmi kifayat se ishtemal karta hai, isliye wav lambe samay tak chalta hai.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4002796966714094837.post-63619312188972804952009-01-22T16:35:00.000-08:002009-01-22T16:35:00.000-08:00पहले यह कहावत कभी नहीं सुनी.पहले यह कहावत कभी नहीं सुनी.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com