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Showing posts from June, 2008

वाह रे म्‍हारा घर रा धणी

वाह रे म्‍हारा घर रा धणी मारी थोड़ी घीसी घणी म्‍हारा: मेरे धणी: मालिक घीसी: घसीटा घणी: ज्‍यादा यहां पत्‍नी अपने पति पर व्‍यंग करती है कि जिस बात पर लड़ाई हुई है उसके लिए मुझे मारा तो कम लेकिन बाजार में ले जाकर घसीटा अधिक। यानि चोट कम की और मानहानि अधिक। ऐसा उलाहना आमतौर पर छोटी सी बात का बतंगड़ बनाने वाले व्‍यक्ति को दिया जाता है।

जाट, जमाई भाणजा रेबारी सोनार:::

जाट जमाई भाणजा रेबारी सोनार कदैई ना होसी आपरा कर देखो उपकार जाट : यहां प्रयोग तो जाति विशेष के लिए हुआ है लेकिन मैं किसी जाति पर टिप्‍पणी नहीं करना चाह रहा। उम्‍मीद करता हूं कि इसे सहज भाव से लिया जाएगा। जमाई: दामाद भाणजा: भानजा रेबारी सोनार: सुनारों की एक विशेष जाति इसका अर्थ यूं है कि जाट जमाई भानजे और सुनार के साथ कितना ही उपकार क्‍यों न कर लिया जाए वे कभी अपने नहीं हो सकते। जाट के बारे में कहा जाता है कि वह किए गए उपकार पर पानी फेर देता है, जमाई कभी संतुष्‍ट नहीं होता, भाणजा प्‍यार लूटकर ले जाता है लेकिन कभी मुड़कर मामा को नहीं संभालता और सुनार समय आने पर सोने का काटा काटने से नहीं चूकता। यह कहावत भी मेरे एक मामा ने ही सुनाई। कई बार

बुन्देली कहावत-01

जबरा मारै रोय न दे जबरा=ज़ोर ज़बरदस्ती कराने वाला "किसी को भी ऐसी प्रताड़ना देना जिससे रोने को जी चाहे किंतु मारने वाला रोने भी नहीं देता !"

कुछ- कुछ ऐसा होता होगा गांव

नर्मदांचल,बुन्देली, की लोकोक्तियाँ:-01

नर्मदांचल हरदा,टिमरनी, क्षेत्र में मुझे जो लोकोक्ति सबसे पसंद आई :"बोर पकी रीछडी का डोला आया" बोर:बेर, रीछडी: मादा-रीछ, डोला:आँखें जब बेर पकी तो मादारीछ आंखों मे कन्जक्टिवाईटिस हुआ यानी सही अवसर को खो देना बुन्देली :"मरी जान मल्हारी गावे" मरी-जान: कमजोर शरीर वाला,/वाली, मल्हारी:-राग मल्हार शख्शियत के अनुकूल काम न करना,इसे यह भी कहा जा सकता है सीमोल्घंन करना